भूटान राष्ट्रीय दिवस 2022

भूटान राष्ट्रीय दिवस हर साल 17 दिसंबर को मनाया जाता है। वर्ष 2022 में 115वाँ भूटान राष्ट्रीय दिवस मनाया जा रहा है। यह दिवस दिनांक 17 दिसंबर, 1907 को भूटान के प्रथम राजा, ड्रुक ग्यालपो उग्येन वांगचुक के राज्याभिषेक को चिह्नित करता है। ड्रुक ग्यालपो भूटान राज्य के प्रमुख का आधिकारिक शीर्षक है, जिसका अर्थ ज़ोंगखा में ड्रैगन किंग है।

इस दिन के अवसर पर भूटान के सभी सरकारी कार्यालय और एजेंसियां ​​बंद रहती है। इसे भूटान का सबसे महत्त्वपूर्ण राष्ट्रीय दिवस माना जाता है और पूरे देश में व्यापक रूप से मनाया जाता है। यह देश के नागरिकों को पूर्वजों के महान बलिदानों की याद दिलाता है। उन लोगों के स्मरण के लिए प्रेरित है, जिन्होंने देश और लोगों की भलाई के लिए अथक परिश्रम किया। यह दिन भूटान के नागरिकों को अपनी सर्वश्रेष्ठ क्षमताओं के साथ राष्ट्र की सेवा करने के लिए अपनी महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाने की अपनी प्रतिज्ञा की पुष्टि करता है।

भूटान के बारे में

यह हिमालय पर बसा दक्षिण एशिया का एक छोटा और महत्त्वपूर्ण देश है। यह चीन (तिब्बत) और भारत के बीच स्थित भूमि आबद्ध (Land Lock) देश है। भूटान का स्थानीय नाम ‘ड्रुग युल’ है, जिसका अर्थ ‘अझ़दहा का देश’ होता है। इस देश का अधिकांश भाग पहाड़ी तथा दक्षिणी भाग में समतल भूमि है। यह सांस्कृतिक और धार्मिक तौर से तिब्बत से जुड़ा है। 

भूटान संस्कृत के भू-उत्थान से बना शब्द है जिसका शाब्दिक अर्थ है ऊँची भूमि है। कुछ लोगों के अनुसार यह भोट-अन्त (भोटान्त) (यानि तिब्बत का अन्त) का बिगड़ा रूप है। भूटान के निवासियों को ड्रुगपा कहा जाता हैं।

भूटान का इतिहास

2,000 ईसा पूर्व से भूटान में लोगों ने निवास करना शुरू किया था। दन्थकाथाओं में 7वीं शती ईसापूर्व में कूच बिहार के राजा का अधिकार बताया गया है। 9वीं शताब्दीं में भूटान में बौद्ध धर्म आने का जिक्र हर जगह आसानी से मिल जाता है लेकिन इससे पहले का इतिहास अज्ञात है। इस काल में तिब्बत में अशान्ति होने के कारण बहुत से बौद्ध भिक्षु यहाँ आ कर बस गए थे। ड्रुक्पा कग्युपा सम्प्रदाय यहाँ का प्रमुख सम्प्रदाय है, जो 12वीं शताब्दी में स्थापित हुआ था। भूटान का राजनीतिक इतिहास इसके धार्मिक इतिहास से निकट सम्बन्ध रखता है।

भूटान ने सत्रहवीं सदी के अन्त में बौद्ध धर्म को अंगीकार किया। ब्रिटेन और भूटान के बीच 1865 में सिनचुलु संधि पर हस्ताक्षर हुआ, जिसके तहत भूटान को सीमावर्ती कुछ भूभाग के बदले कुछ वार्षिक अनुदान के करार किए गए। ब्रिटिश प्रभाव के तहत 1907 में भूटान में राजशाही की स्थापना हुई। लगभग 1910 में भूटान और ब्रिटिश के बीच एक समझौता हुआ। इसमें ब्रिटिश भूटान के आन्तरिक मामलों में हस्त्क्षेप नहीं करने की बात पर राजी हुए। समझौते में भूटान की विदेश नीति इंग्लैंड द्वारा तय की जाने की बात निश्चित की गई। 1947 के बाद से यह भूमिका भारत को मिली। वर्ष 1949 में भारत-भूटान समझौते के तहत भारत ने अंग्रेजों के अधीन वाली सारी जमीन उसे वापिस लौटा दी।

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