तेलंगाना ने सब्जियों के अपशिष्‍ट से उत्‍पन्‍न की बिजली

तेलंगाना ने सब्जियों के अपशिष्‍ट से बिजली उत्पन करने का निर्णय लिया है।

नवोन्‍मेषण की शक्ति का यह रूप तेलंगाना की बोवेनपल्ली सब्‍जी मंडी (Bowenpally Vegetable Market) में देखने को मिलेगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ‘मन की बात’ कार्यक्रम के एक एपिसोड में बोवेनपल्ली सब्‍जी मंडी की नवोन्‍मेषी अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली की अपनी तरह की अनोखी जैव-विद्युत, जैव ईंधन और जैव-खाद उत्पादन परियोजना की प्रशंसा की।

तेलंगाना की बोवेनपल्ली सब्जी मंडी द्वारा बिजली उत्‍पन्‍न 

सब्जी मंडियों में कई कारणों से सब्जियां सड़ जाती है, जिससे अस्वास्थ्यकर स्थितियां उत्‍पन्‍न हो जाती हैं। ऐसे में तेलंगाना के हैदराबाद की बोवेनपल्ली सब्जी मंडी में व्यापारियों ने अपशिष्‍ट सब्जियों से विद्युत उत्‍पन्‍न करने का तरीका अपना लिया है। इस मंडी में प्रतिदिन लगभग 10 टन अपशिष्‍ट एकत्र होता है, जिन्हें पहले लैंडफिल के लिए उपयोग में लाया जाता था। लेकिन अब इन सब्जियों के अपशिष्ट से बिजली उत्पन्न की जा रही है।

बोवेनपल्ली सब्जी मंडी के सचिव श्रीनिवास ने बताया कि मंडी से एकत्रित सब्जी और फलों के अपशिष्‍ट से लगभग 500 यूनिट बिजली और 30 किलो जैव ईंधन उत्पन्न किया जा रहा है। मंडी द्वारा उत्पन्न इस विद्युत को स्ट्रीटलाइट्स, 170 स्टालों, एक प्रशासनिक भवन और जल आपूर्ति नेटवर्क हेतु उपलब्ध कराया जा रहा है। 

बोवेनपल्ली मंडी के कैंटीन में 650-700 यूनिट बिजली की आवश्यकता होती है और 7-8 टन सब्जी अपशिष्‍ट से औसतन 400 यूनिट बिजली का उत्पादन किया जा सकता है। इससे मंडी की स्वच्छता भी बनी रहती है और प्रदुषण का स्तर भी कम हुआ है। विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधियों ने बोवेनपल्ली मंडी के संयंत्र का दौरा किया है और हमारे प्रयासों की सराहना की है।

वेस्ट-टू-एनर्जी प्लांट की महत्त्वपूर्ण जानकारी

यह बायोगैस संयंत्र जैव प्रौद्योगिकी विभाग और कृषि विपणन तेलंगाना विभाग, गीतानाथ (2021) द्वारा वित्त पोषित है।

इसे CSIR-IICT के मार्गदर्शन और पेटेंट प्रौद्योगिकी के तहत स्थापित किया गया था।

हैदराबाद स्थित आहूजा इंजीनियरिंग सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड द्वारा इस संयंत्र को निष्‍पादित किया गया था।

बोवेनपल्ली का वेस्ट-टू-एनर्जी प्लांट कैसे काम करता है?

  • इस प्लांट के माध्यम से मंडी में उत्पन्न प्रतिदिन 10 टन अपशिष्‍ट को विद्युत में बदला जा रहा है।  
  • सब्जियों को छोटे-छोटे टुकड़ों में काट कर कन्वेयर बेल्ट के ऊपर से श्रेडर तक चलाया जाता है।
  • फिर सब्जियों को क्रश करके इनकी लुगदी बनाई जाती है।
  • इसके बाद तैयार घोल को अवायवीय डाइजेस्टर्स में डाल दिया जाता है।
  • यहां से उत्पन्न गैस को अगले उपयोग तक बैलून में भंडारित किया जाता है।

वेस्ट-टू-एनर्जी प्लांट के फायदे

  • इस प्लांट की स्थापना से महिलाओं को अपशिष्‍ट को छांटने व उन्हें अलग करने, मशीनरी संचालन करने और प्रशासनिक कार्यों का प्रबंधन करने जैसे कार्यो का अवसर प्रदान करता है।
  • इस प्लांट से गैस के अतिरिक्त जैव खाद भी प्राप्त होता है। 
  • यह बायोगैस संयंत्र बिजली के बिल को आधे से कम करने में मदद करता है।
  • किसानों के खेतों में तरल जैविक खाद का उपयोग उर्वरक के रूप में किया जा रहा है।

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