भारत-ऑस्ट्रेलिया-इंडोनेशिया त्रिपक्षीय समुद्री सुरक्षा कार्यशाला (टीएमएसडब्ल्यू) के दूसरे संस्करण का आयोजन

टीएमएसडब्ल्यू के दूसरे संस्करण का आयोजन 15 से 17 मई, 2024 तक कोच्चि में आईएनएस द्रोणाचार्य पर किया गया है।

भारत-ऑस्ट्रेलिया-इंडोनेशिया त्रिपक्षीय समुद्री सुरक्षा कार्यशाला (टीएमएसडब्ल्यू) के दूसरे संस्करण का आयोजन 15 से 17 मई, 2024 तक कोच्चि में आईएनएस द्रोणाचार्य पर किया गया है।

टीएमएसडब्ल्यू के दूसरे संस्करण के मुख्य बिंदु 

  • इस कार्यशाला का मुख्य विषय ‘हिंद महासागर क्षेत्र: क्षेत्रीय समुद्री सुरक्षा बढ़ाने के लिए सहयोगात्मक प्रयास’ पर केंद्रित था।
  • यह कार्यशाला दक्षिणी नौसेना कमान मुख्यालय के मार्गदर्शन में आयोजित की गई है।
  • त्रिपक्षीय समुद्री सुरक्षा कार्यशाला की अध्यक्षता नौसेना स्टाफ के सहायक प्रमुख (FCI) रियर एडमिरल निर्भय बापना ने की। 
  • कार्यशाला की सह-अध्यक्षता रॉयल ऑस्ट्रेलियन नेवी के कमोडोर फ्लोटिलास, कमोडोर पॉल ओ’ग्राडी, टीएनआई (एएल) से सीआईसी इंडोनेशियाई फ्लीट कमांड के संचालन के लिए सहायक एफएडीएम हेरी ट्रिविबोवो और भारतीय नौसेना के कमोडोर (विदेशी सहयोग) कमोडोर मनमीत एस खुराना द्वारा की गई है।
  • इस कार्यशाला के दौरान, होने वाली सभी चर्चाएं आईएफसी-आईओआर की सूचना विनिमय तंत्र व क्षमताएं, समुद्री डोमेन जागरूकता, गैर-पारंपरिक एवं अवैध समुद्री गतिविधियां, समुद्री कानून प्रवर्तन, क्षमता वृद्धि और क्षमता निर्माण, पारस्परिक सहभागिता तथा सहयोग बढ़ाने के मार्ग आदि शामिल हैं।
  • कार्यशाला के अवसर पर मुख्य कार्यक्रम से इतर ऑस्ट्रेलिया तथा इंडोनेशिया की नौसेनाओं के प्रतिनिधियों के लिए कोच्चि और मेसर्स कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड में भारतीय नौसेना प्रशिक्षण स्थल पर उपलब्ध सुविधाओं को देखने हेतु विशेष दौरे का आयोजन भी किया गया है।

त्रिपक्षीय समुद्री सुरक्षा कार्यशाला (टीएमएसडब्ल्यू)

  • इस त्रिपक्षीय सैन्य अभ्यास की शुरुआत वर्ष 2016 में हुई थी। 
  • यह वार्षिक आधार पर आयोजित किया जा रहा है।
  • इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य समुद्री सुरक्षा से संबंधित मुद्दों पर आपसी समझ बढ़ाना, आतंकवाद और समुद्री अपराध से निपटने के तरीके सीखना, और सैन्य पेशेवरों के बीच सहयोग बढ़ाना है।
  • यह एक गैर-युद्धाभ्यास सैन्य अभ्यास है। इसमें समुद्री संचालन, नौसेना बलों का समन्वय, जांच और बचाव अभियान आदि शामिल हैं। 
  • यह अभ्यास भारत, अमेरिका और जापान के बीच महत्वपूर्ण सैन्य और रणनीतिक सहयोग को दर्शाता है। यह इन देशों को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने में मदद करता है।

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