विजय दिवस 2022: थीम और इतिहास

विजय दिवस 2022: भारत में यह दिवस हर साल 16 दिसम्बर को मनाया जाता है। यह दिवस 16 दिसम्बर, 1971 के युद्ध में भारत की पाकिस्तान पर जीत को चिह्नित करता है। इस युद्ध का स्मरण भारतवासियों के लिए ऐतिहासिक और हृदय में उमंग पैदा करने वाला है।

“Remember, Rejoice and Renew” इस वर्ष के विजय दिवस की थीम है।

विजय दिवस का इतिहास

1971 का युद्ध भारत और पाकिस्तान के बीच एक सैन्य संघर्ष था। पाकिस्तानी सेना द्वारा शुरू किए गए इस युद्ध का अंत 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों के आत्मसमर्पण के साथ हुआ था। 1971 के इस युद्ध में पाकिस्तान की परास्त से पूर्वी पाकिस्तान स्वतंत्र हो गया था। पूर्वी पाकिस्तान को वर्तमान में बांग्लादेश के नाम से जाना जाता है। इस युद्ध में भारत के 3,900 सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए थे और 9,851 सैनिक घायल हो गए थे।

भारत के पूर्वी सैन्य कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के समक्ष पूर्वी पाकिस्तान में पाकिस्तानी बलों के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल ए.ए.के. नियाजी ने आत्मसमर्पण कर दिया था। इसके बाद 17 दिसंबर को पाकिस्तानी सैनिकों को युद्धबंदी बनाया गया। इस युद्ध में भारत की जीत में ‘ऑपरेशन ट्राइडेंट’ की मुख्य भूमिका रही।

ऑपरेशन ट्राइडेंट क्या है?

भारत ने 4 दिसंबर, 1971 को ‘ऑपरेशन ट्राईडेंट’ शुरू करके बंगाल की खाड़ी में समुद्र की तरफ से पाकिस्तानी नौसेना को टक्कर दी तथा दूसरी तरफ पश्चिमी पाकिस्तान की सेना का भी डट कर मुकाबला किया। इस ऑपरेशन के तहत भारतीय नौसेना ने कराची नौसैनिक अड्डे पर भी हमला बोल दिया और पहली बार एंटी शिप मिसाइल से हमला भी किया। 

भारतीय नौसेना ने इस हमले के साथ पाकिस्तान के तीन जहाज नष्ट कर दिए थे हालाँकि आईएनएस खुकरी भी पानी में डूब गया था। भारतीय नौसेना ने इस हमले पाकिस्तानी नौसेना हेडक्वार्टर को भारी नुकसान पहुँचाया था और कराची तेल डिपो इसकी चपेट में आ गया था। कराची तेल डिपो के आग की लपटे 60 किलोमीटर की दूरी से दिखाई दे रही थी। कराची डिपो में लगी आग को बुझाने में सात दिन तक लग गए थे। भारत और पाकिस्तान के बीच इस युद्ध में भारत की विजय में इस ऑपरेशन की मुख्य भूमिका थी।

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