कोयला खनिक दिवस: 4 मई

प्रतिवर्ष कोयला खनिक दिवस 4 मई को मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य कोयला खनिकों के कठिन परिश्रम और योगदान को सम्मानित करना है।

प्रतिवर्ष कोयला खनिक दिवस 4 मई को मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य कोयला खनिकों के कठिन परिश्रम और योगदान को सम्मानित करना है।

कोयला खनिक दिवस का इतिहास 

  • 4 मई, 1942 को इलिनॉय, संयुक्त राज्य अमेरिका में केन्टकी के एक कोयला खदान में एक भयंकर विस्फोट हुआ। इस दुर्घटना में लगभग 51 कोयला खनिक अपनी जान गंवा बैठे थे। यह दुर्घटना कोयला खनिकों के लिए खतरनाक कार्य स्थितियों और जोखिमों को उजागर करने वाली घटना थी।
  • वर्ष 1950 में, संयुक्त राज्य अमेरिका में पहली बार 4 मई को कोयला खनिक दिवस के रूप में मनाया गया। 
  • भारत में कोयला खनन की शुरुआत वर्ष 1774 में हुई थी। 
  • अत्यधिक कोयला समृद्ध उत्पादक देश ओडिशा, झारखंड, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल और देश के कुछ मध्य भाग हैं।
  • पहला कोयला खनन रानीगंज कोलफील्ड्स में शुरू हुआ जो दामोदर नदी के तट पर स्थित है।

कोयला खनिक दिवस का महत्व

  • कोयला खनिकों के योगदान को सम्मान देना: यह दिन उन कोयला खनिकों के योगदान को सम्मानित करता है जिन्होंने कठिन परिश्रम करके ऊर्जा आपूर्ति सुनिश्चित की है। यह उनके बलिदानों और त्याग को स्वीकार करता है।
  • खतरनाक कार्य परिस्थितियों पर प्रकाश डालना: कोयला खनन एक अत्यंत जोखिमपूर्ण व्यवसाय है। यह दिन इस उद्योग में मौजूद खतरनाक स्थितियों और चुनौतियों पर प्रकाश डालता है।
  • सुरक्षा उपायों पर जोर देना: इस दिन का एक प्रमुख उद्देश्य कोयला खनिकों की सुरक्षा और स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित करना है। यह खानों में बेहतर सुरक्षा मानकों और उपकरणों की आवश्यकता पर जोर देता है।
  • कल्याणकारी कदम: कोयला खनिक दिवस खनिकों के लिए बेहतर कल्याणकारी योजनाओं और मजदूरी की मांग करने का अवसर प्रदान करता है।
  • पर्यावरणीय चिंताओं पर चर्चा: कोयला जलवायु परिवर्तन का एक प्रमुख कारक है। इस दिन जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण संरक्षण पर भी चर्चा की जाती है।
  • खनन समुदाय का एकीकरण: यह दिन दुनिया भर के कोयला खनिकों को एक साथ लाता है और उनकी समस्याओं एवं हितों पर चर्चा करने का अवसर प्रदान करता है।

कोयले के बारे में 

  • कोयला एक अपरिष्कृत जीवाश्म ईंधन है जो प्राचीन वनस्पतियों के अवशेषों से बना है। 
  • कोयला काष्ठ अवशेष और अन्य वनस्पति पदार्थों के दबाव और तापमान के अंतर्गत विसरण द्वारा बनता है। यह एक दीर्घकालिक प्रक्रिया है जिसमें लगभग 300 मिलियन वर्ष लगते हैं।
  • कोयले के प्रमुख चार प्रकार है – एन्थ्रेसाइट, बिटुमिनस, सबबिटुमिनस और लिग्नाइट 
  • एन्थ्रेसाइट सबसे अधिक तापीय मान वाला और सबसे उच्च गुणवत्ता वाला कोयला है।
  • कोयला मुख्य रूप से बिजली संयंत्रों में ऊर्जा उत्पादन के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसका उपयोग इस्पात उद्योग और अन्य उद्योगों में भी किया जाता है।
  • भारत, चीन, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और रूस के पास दुनिया के सबसे बड़े कोयला भंडार हैं।
  • कोयले का जलना वायु और जल प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है। इससे ग्रीनहाउस गैसों का भी उत्सर्जन होता है जो जलवायु परिवर्तन का कारण बनता है।

भारत में उत्पादन 

  • भारत में सर्वाधिक कोयला उत्पादन झारखंड राज्य में होता है।
  • झारखंड में कोयला भंडार की मात्रा लगभग 80,716 मिलियन टन है, जो देश के कुल कोयला भंडार का लगभग 26% है।
  • झारखंड में दो प्रमुख कोयला क्षेत्र हैं – धनबाद और बोकारो।
  • धनबाद कोयला क्षेत्र भारत का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण कोयला क्षेत्र है। यहां से हर साल लगभग 45 मिलियन टन कोयले का उत्पादन होता है।
  • बोकारो कोयला क्षेत्र भी झारखंड में एक प्रमुख कोयला उत्पादक क्षेत्र है, जहां से लगभग 30 मिलियन टन कोयला प्रतिवर्ष उत्पादित होता है।

FAQs

भारत में सर्वाधिक कोयला उत्पादन किस राज्य में होता है?

झारखंड

कोयला खनिक दिवस कब मनाया जाता है?

4 मई

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