रबी अभियान 2023-24 के लिए राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन

हाल ही में कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने रबी अभियान 2023-24 के लिए राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया। रबी अभियान 2023-24 के लिए आयोजित इस राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्देश्य पूर्ववर्ती फसल मौसम के दौरान फसल निष्पादन की समीक्षा और आकलन करना तथा राज्य सरकारों के परामर्श से रबी मौसम के लिए फसल-वार लक्ष्य तय करना, महत्वपूर्ण इनपुट की आपूर्ति सुनिश्चित करना और उत्पादन बढ़ाने तथा फसलों की उत्पादकता में वृद्धि की दृष्टि से नवीन प्रौद्योगिकियों को अपनाने की सुविधा प्रदान करना है। इसमें बताया गया कि भारत में कृषि-पारिस्थितिकी उपयुक्त और आवश्यकता आधारित फसल विविधीकरण को बढ़ावा दिया जाएगा।

रबी अभियान 2023-24 पर राष्ट्रीय सम्मेलन 

कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के सचिव मनोज आहूजा ने इस सम्मलेन में बताया कि देश में 2015-16 से खाद्यान्न उत्पादन में वृद्धि का रुझान बना हुआ है। सचिव आहूजा ने बताया कि तीसरे अग्रिम अनुमान (2022-23) के अनुसार भारत में खाद्यान्न का उत्पादन 3305 लाख टन हो सकता है, जो 2021-22 के दौरान खाद्यान्न के उत्पादन की तुलना में 149 लाख टन अधिक है। चावल, मक्का, चना, दलहन, रेपसीड और सरसों, तिलहन और गन्ना का रिकॉर्ड उत्पादन का अनुमान है। 

सचिव मनोज आहूजा ने कहा कि पिछले 8 वर्षों में कुल खाद्यान्न उत्पादन 31 प्रतिशत बढ़कर 251.54 से 330.54 मिलियन टन हो गया है। वर्ष 2022-23 के लिए तिलहन और दलहन ने कृषि उत्पादों (समुद्री और वृक्षारोपण उत्पादों सहित) के निर्यात की समान रुझान का अनुसरण किया है, जो 53.145 बिलियन डॉलर को पार कर गया है। यह कृषि निर्यात के लिए अब तक का उच्चतम स्तर है। पिछले 2 वर्षों की यह उपलब्धि किसानों की आय में सुधार के पीएम मोदी के विजन को साकार करने में अत्यंत सहायक सिद्ध होगी।

वर्ष 2023-24 के लिए कुल खाद्यान्न उत्पादन का राष्ट्रीय लक्ष्य 3320 लाख टन निर्धारित किया गया है। कुल खाद्यान्न उत्पादन के राष्ट्रीय लक्ष्य में रबी सीजन इसमें 1612 लाख टन का योगदान देगा। इसी प्रकार रबी फसलों का हिस्सा दलहन के लिए 292 लाख टन में से 181 और तिलहन के लिए 440 लाख टन में से 145 होगा। यह कार्यनीति अंतर-फसल और फसल विविधीकरण के माध्यम से क्षेत्र को बढ़ाने और एचवाईवी की शुरुआत तथा कम उपज वाले क्षेत्रों में उपयुक्त कृषि पद्धतियों को अपनाने के माध्यम से उत्पादकता बढ़ाने की होगी।

सरसों का उत्पादन पिछले 3 वर्षों में 37 प्रतिशत बढ़कर 91.24 से 124.94 लाख टन हो गया है। उत्पादकता 7% बढ़कर 1331 से 1419 किलोग्राम/हेक्टेयर हो गई है। रेपसीड और सरसों का क्षेत्रफल 2019-20 में 68.56 से 28 प्रतिशत बढ़कर 2022-23 में 88.06 लाख हेक्टेयर हो गया है। यह सराहनीय उपलब्धि कृषक समुदाय और राज्य सरकार के कारण हासिल हुई है। सरसों का उत्पादन बढ़ने से पाम और सूरजमुखी तेल के आयात में आ रहे कुछ संकट से निपटने में मदद मिल रही है।

निष्कर्ष

रबी अभियान 2023-24 के लिए आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन में उन्नत प्रौद्योगिकियों की तुलना में किसान प्रथा के साथ फसल उत्पादन में बड़े उपज अंतर पर चिंता जताई गई। फसल एवं तिलहन संयुक्त सचिव शुभा ठाकुर ने देश को इन वस्तुओं में आत्मनिर्भर बनाने के लिए अगले 5 वर्षों के लिए दलहन और तिलहन के लिए विजन प्रस्तुत किया। इसमें दलहन के लिए वर्ष 2025 तक 325.47 लाख टन का लक्ष्य हासिल करने का प्रस्ताव रखा गया है। 

इस राष्ट्रीय सम्मेलन में अतिरिक्‍त सचिव (कृषि) और कृषि एवं किसान कल्याण विभाग, आईसीएआर के वरिष्ठ अधिकारियों और विभिन्न राज्य सरकारों के अधिकारियों ने भाग लिया।

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